Denied Boarding और Flight Cancellation में फर्क

एयरपोर्ट पर फ्लाइट लेट होना, कैंसिल होना या बोर्डिंग से रोक दिया जाना यात्रियों के लिए ये सब एक जैसा लगता है। लेकिन कानून की नजर में ये बिल्कुल अलग स्थितियां हैं।

डिनाइड बोर्डिंग अधिकार भारत में अलग नियमों के तहत आते हैं, जबकि फ्लाइट कैंसिलेशन पर अलग सुविधाएं मिलती हैं। फर्क समझना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि इससे तय होता है कि आपको मुआवजा मिलेगा या सिर्फ रीबुकिंग।



Denied Boarding क्या होता है?

अगर आपके पास:

  • कन्फर्म टिकट है
  • आपने समय पर चेक इन किया
  • सभी डॉक्युमेंट सही हैं

और फिर भी एयरलाइन आपको विमान में चढ़ने नहीं देती, तो यह Denied Boarding कहलाता है।

अक्सर इसकी वजह ओवरबुकिंग होती है।



कब Denied Boarding पर मुआवजा नहीं मिलता?

अगर:

  • आप देर से पहुंचे
  • डॉक्युमेंट अधूरे हों
  • सुरक्षा या स्वास्थ्य कारण हों

तो एयरलाइन जिम्मेदार नहीं मानी जाती।



Flight Cancellation का मतलब क्या है?

जब एयरलाइन पूरी फ्लाइट ही नहीं उड़ाती, उसे कैंसिलेशन कहते हैं। यह मौसम, तकनीकी खराबी या ऑपरेशनल वजहों से हो सकता है।

इसमें सभी यात्रियों पर असर पड़ता है।



फर्क समझना क्यों ज़रूरी है?

  • Denied Boarding में मुआवजा मिल सकता है
  • Flight Cancellation में रिफंड या रीबुकिंग मिलती है
  • दोनों के नियम अलग हैं

गलत समझ से यात्री अपने अधिकार खो देते हैं।



ओवरबुकिंग में यात्री क्या पूछें?

हमेशा पूछें:

  • क्या यह voluntary है या involuntary denied boarding?

यही सवाल मुआवजे का रास्ता खोलता है।



एयरपोर्ट पर क्या करें?

  1. स्थिति साफ़ पूछें
  2. टिकट और बोर्डिंग पास संभालें
  3. जल्दबाज़ी में वाउचर स्वीकार न करें
  4. मुआवजे के बारे में पूछें

शांत रहकर सवाल पूछना सबसे असरदार तरीका है।



FAQs

क्या Denied Boarding और कैंसिलेशन एक ही हैं?

नहीं, दोनों अलग कानूनी स्थितियां हैं।



क्या ओवरबुकिंग कानूनी है?

हां, लेकिन मुआवजा देना ज़रूरी हो सकता है।



क्या कैश के बजाय वाउचर मिल सकता है?

हां, लेकिन विकल्प पूछना आपका अधिकार है।