निमेसुलाइड पर बैन क्यों लगा

भारत में दर्द की दवाएं सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली medicines में शामिल हैं। सिर दर्द, बुखार, दांत दर्द या शरीर में हल्का दर्द अक्सर लोग बिना डॉक्टर से पूछे सीधे पेन किलर ले लेते हैं। इसी आदत ने कई बार दवाओं को जरूरत से ज्यादा आम बना दिया है, जिनमें निमेसुलाइड भी शामिल है।

हाल ही में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 100 mg से ज्यादा डोज वाली निमेसुलाइड टैबलेट्स पर बैन लगा दिया है। यह फैसला अचानक नहीं है और न ही किसी एक घटना की वजह से लिया गया है। इसके पीछे मरीजों की सुरक्षा, मेडिकल रिसर्च और अंतरराष्ट्रीय अनुभव शामिल हैं।



निमेसुलाइड आखिर है क्या और क्यों दी जाती है?

निमेसुलाइड एक NSAID (Non Steroidal Anti Inflammatory Drug) है। इसे आमतौर पर:

  • दर्द
  • सूजन
  • बुखार

के इलाज के लिए दिया जाता है। भारत में यह दवा सालों से इस्तेमाल हो रही है और धीरे धीरे यह “strong painkiller” के तौर पर जानी जाने लगी।

समस्या तब शुरू हुई जब यह दवा:

  • बिना prescription ली जाने लगी
  • बार बार और ज्यादा डोज में इस्तेमाल होने लगी
  • लंबे समय तक लेने की आदत बन गई



सरकार को दखल क्यों देना पड़ा?

स्वास्थ्य मंत्रालय और ड्रग रेगुलेटर्स को लंबे समय से यह चिंता थी कि हाई डोज निमेसुलाइड लिवर को नुकसान पहुंचा सकती है। कई मेडिकल रिपोर्ट्स और pharmacovigilance डेटा में यह बात सामने आई कि:

  • ज्यादा डोज से लिवर टॉक्सिसिटी का खतरा बढ़ता है
  • कुछ मामलों में गंभीर liver injury देखी गई
  • लंबे समय तक इस्तेमाल सुरक्षित नहीं माना गया

इसी आधार पर Drug Technical Advisory Board (DTAB) से सलाह लेकर यह फैसला लिया गया।



100 mg से ज्यादा डोज पर ही बैन क्यों?

यह सवाल सबसे ज्यादा पूछा जा रहा है।

सरकार के अनुसार:

  • 100 mg से ऊपर डोज लेने से दर्द में कोई extra फायदा नहीं मिलता
  • लेकिन side effects का risk काफी बढ़ जाता है
  • बाजार में कई safe alternatives पहले से मौजूद हैं

इसलिए फैसला यह हुआ कि benefit risk balance को देखते हुए हाई डोज को हटाना ही बेहतर है।



बच्चों के लिए पहले ही क्यों बैन हो चुकी थी?

बहुत से लोग नहीं जानते कि:

  • 2011 में ही
  • 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए
  • निमेसुलाइड पर रोक लगा दी गई थी

कारण साफ था बच्चों में इसका असर ज्यादा खतरनाक पाया गया था। इसके बावजूद adult use में यह दवा काफी समय तक चलती रही।



दूसरे देशों में निमेसुलाइड का क्या हुआ?

भारत इस मामले में अकेला नहीं है। कई देशों ने सालों पहले ही इस दवा पर सख्त कदम उठाए थे।

इन देशों में निमेसुलाइड पर बैन या कड़ी पाबंदी है:

  • फिनलैंड
  • स्पेन
  • आयरलैंड
  • बेल्जियम
  • कनाडा
  • अमेरिका
  • जापान
  • ऑस्ट्रेलिया
  • यूनाइटेड किंगडम

इन देशों ने safer pain management options को प्राथमिकता दी।



मरीजों के लिए इसका क्या मतलब है?

इस बैन का मतलब यह नहीं है कि:

  • अब दर्द की दवा नहीं मिलेगी
  • या मरीजों को परेशानी होगी

असल में:

  • low dose विकल्प उपलब्ध रहेंगे
  • डॉक्टर दूसरे NSAIDs prescribe कर सकते हैं
  • pain management ज्यादा responsible बनेगा

सरकार का मकसद इलाज रोकना नहीं, बल्कि गलत इस्तेमाल रोकना है।



डॉक्टर्स और मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन पर असर

अब डॉक्टरों को:

  • हाई डोज निमेसुलाइड avoid करनी होगी
  • मरीजों को दवा के risks समझाने होंगे
  • लंबे समय के दर्द के लिए बेहतर विकल्प चुनने होंगे

यह फैसला evidence based prescribing को बढ़ावा देता है।



Self medication पर एक बड़ा संदेश

यह बैन एक बड़ा संकेत भी है।

भारत में self medication एक गंभीर समस्या है। लोग:

  • दोस्त की सलाह पर दवा ले लेते हैं
  • पुरानी prescription दोहरा लेते हैं
  • दर्द को मामूली समझकर ignore करते हैं

सरकार का यह कदम बताता है कि हर आम दवा सुरक्षित नहीं होती



मरीजों को अब क्या सावधानी रखनी चाहिए?

अगर आप पेन किलर लेते हैं:

  1. हमेशा डोज जरूर जांचें
  2. बार बार दर्द हो तो डॉक्टर से मिलें
  3. ज्यादा strong दवा खुद से न लें
  4. लंबे समय तक दवा लेने से बचें

सही जानकारी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।



FAQs

क्या निमेसुलाइड पूरी तरह बैन हो गई है?

नहीं, सिर्फ 100 mg से ज्यादा डोज वाली oral टैबलेट्स पर रोक है।



क्या दर्द की दूसरी दवाएं मिलेंगी?

हां, कई safe और approved alternatives मौजूद हैं।



क्या यह फैसला जरूरी था?

हां, मरीजों की long term safety को देखते हुए।



क्या बिना डॉक्टर की सलाह दवा लेना ठीक है?

नहीं, खासकर strong painkillers के मामले में।