
संचार साथी प्राइवेसी कंट्रोवर्सी: दिसंबर 2025 में सच जान लो
हर नए फोन में जबरन डाला जाएगा + डिलीट नहीं कर सकेंगे!
2 दिसंबर 2025 तक भारत सरकार का संचार साथी ऐप और पोर्टल (2023 में शुरू) गोपनीयता को लेकर सबसे बड़े विवाद का केंद्र बन चुका है। पहले इसे “नागरिक-केंद्रित” टूल बताया गया था - मोबाइल चोरी होने पर ट्रैक करना, IMEI से फोन ब्लॉक करना, फ्रॉड SIM चेक करना। लेकिन 28 नवंबर 2025 को जारी नए आदेश ने सब बदल दिया।
अब भारत में बिकने वाले हर नए स्मार्टफोन में संचार साथी ऐप पहले से इंस्टॉल करना अनिवार्य है।
90 दिनों के अंदर लागू होगा।
और सबसे बड़ी बात - इसे अनइंस्टॉल या डिसेबल नहीं किया जा सकता।
सरकार इसे साइबर सिक्योरिटी के लिए ज़रूरी बता रही है, लेकिन वकील, विपक्षी नेता और टेक विशेषज्ञ इसे निगरानी का नया हथियार बता रहे हैं।
1. जबरन प्री-इंस्टॉलेशन और आपका कोई कंट्रोल नहीं
28 नवंबर का आदेश (Telecommunications Cyber Security Rules 2024 के तहत) कहता है:
- Apple, Samsung, Xiaomi, Vivo, Google - सभी को नए फोन में ऐप पहले से डालना होगा।
- पुराने स्टॉक वाले फोन में OTA अपडेट से पुश करना होगा।
- “ऐप की कार्यक्षमता को डिसेबल या रिस्ट्रिक्ट नहीं किया जा सकता” → मतलब आप इसे न डिलीट कर सकते हैं, न बंद कर सकते हैं।
ये भारत में पहली बार हो रहा है। रूस के MAX Messenger ऐप (2025) से तुलना हो रही है।
2. फोन के अंदर तक पहुँच
ऐप को चाहिए:
- IMEI नंबर
- सारी SIM की डिटेल
- रियल-टाइम लोकेशन
- कैमरा और स्टोरेज (सेल्फी वेरिफिकेशन के लिए)
- कॉल/मैसेज लॉग्स
एंड्रॉयड पर (भारत में 95.5% फोन) ये परमिशन अपने आप मिल जाएँगी। iPhone पर Apple अभी विरोध कर रहा है।
3. राजनीतिक बवाल और निगरानी का डर
- प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा - “यह जासूसी ऐप है, आर्टिकल 21 का उल्लंघन”।
- शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा - “बिग ब्रदर का पल”।
- दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा - “इसे डिलीट कर सकते हो” → लेकिन आधिकारिक आदेश में डिलीट करने की मनाही है।
संचार साथी vs दुनिया के दूसरे ऐप
| पहलू | संचार साथी (भारत) | MAX Messenger (रूस) | Find My Device (Google) |
| अनिवार्य? | हाँ (हटाया नहीं जा सकता) | हाँ (सितंबर 2025 से) | नहीं (ऑप्शनल) |
| डेटा पहुँच | IMEI, SIM, लोकेशन, कैमरा | लोकेशन, कॉन्टैक्ट, मैसेज | सिर्फ लोकेशन + डिवाइस ID |
| प्राइवेसी गारंटी | DPDP का दावा, कोई ऑडिट नहीं | राज्य नियंत्रित | GDPR कंप्लायंट, पूरा कंट्रोल |
| मुख्य आलोचना | निगरानी का डर | युद्धकाल में ओवररीच | बैटरी ड्रेन (पर हटाया जा सकता है) |
अभी अपनी प्राइवेसी कैसे बचाएँ (स्टेप-बाय-स्टेप)
नए फोन में ऐप आने से कैसे बचें
- फरवरी 2028 से पहले फोन खरीद लें (90 दिन की डेडलाइन)।
- विदेश से फोन इंपोर्ट करें (कस्टम में अक्सर प्री-इंस्टॉल हटा देते हैं)।
- नया फोन आने पर OTA अपडेट बिल्कुल न करें।
ऐप को डिसेबल कैसे करें (एंड्रॉयड - एडवांस्ड)
- डेवलपर ऑप्शन ऑन करें → USB डिबगिंग चालू करें।
- कंप्यूटर पर ADB इंस्टॉल करें।
- ये कमांड चलाएँ:
adb shell pm disable-user --user 0 gov.dot.sancharsaathi
- adb shell pm revoke gov.dot.sancharsaathi android.permission.ACCESS_FINE_LOCATION
- → ऐप डिसेबल + लोकेशन ब्लॉक हो जाएगा।
फोन खोने पर संचार साथी के बिना क्या करें
- iPhone → Apple का Find My यूज़ करें (पहले से है, एंड-टू-एंड एनक्रिप्टेड)।
- एंड्रॉयड → Settings → Security → Google Find My Device ऑन करें।
- फोन ब्लॉक करना हो → सीधे https://www.ceir.gov.in पर जाएँ (ऐप की ज़रूरत नहीं)।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
प्रश्न: क्या सच में संचार साथी को डिलीट नहीं कर सकेंगे?
उत्तर: नहीं। 28 नवंबर के आदेश में साफ लिखा है - कार्यक्षमता को डिसेबल नहीं किया जा सकता। मंत्री जी का “डिलीट कर सकते हो” वाला बयान गलत है।
प्रश्न: क्या ये ऐप कॉल या मैसेज पढ़ता है?
उत्तर: आधिकारिक तौर पर नहीं। सिर्फ IMEI, SIM और CEIR/TAFCOP यूज़ करने पर लोकेशन लेता है। लेकिन कोड का कोई इंडिपेंडेंट ऑडिट नहीं हुआ है और परमिशन रिवोक नहीं की जा सकती।
प्रश्न: DPDP एक्ट 2023 से डेटा सुरक्षित है ना?
उत्तर: सरकार दावा करती है, लेकिन कोई थर्ड-पार्टी ऑडिट नहीं, डेटा कितने दिन रखा जाएगा यह साफ नहीं, और यूज़र अपना डेटा डिलीट नहीं कर सकता।
प्रश्न: iPhone में आएगा क्या?
उत्तर: Apple ने मना किया है - App Store पॉलिसी के खिलाफ है। कोर्ट केस होने की पूरी संभावना है।
प्रश्न: अभी क्या करें?
उत्तर: फरवरी 2025 से पहले फोन लें, एंड्रॉयड पर ADB से डिसेबल करें, या iPhone लें और कोर्ट केस का इंतज़ार करें। Internet Freedom Foundation (IFF) की याचिका को सपोर्ट करें।
सुरक्षित रहें, सतर्क रहें - और इस तिमाही नया फोन लेने से पहले दस बार सोचें।
स्रोत: रॉयटर्स, द गार्जियन, टाइम्स ऑफ इंडिया, आउटलुक, बीबीसी, DoT पोर्टल (2 दिसंबर 2025 तक)




