
सूडान की बढ़ती त्रासदी: सुर्खियों के पार
गृहयुद्ध, अकाल और दारफुर में हो रहे नरसंहार की सच्चाई पर गहराई से नज़र।
सूडान आज विश्व की सुर्ख़ियों में है लेकिन इन सुर्ख़ियों के पीछे एक बहुआयामी त्रासदी छिपी है, जिसे अक्सर सतही रिपोर्टिंग ढँक देती है। अप्रैल 2023 में भड़के गृहयुद्ध, फैलते अकाल, और दारफुर में घोषित नरसंहार केवल अलग-अलग घटनाएँ नहीं हैं, बल्कि एक विघटित होती राष्ट्रव्यवस्था की आपस में जुड़ी हुई परतें हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सूडानी प्रवासी समाज के लिए इस जटिलता को समझना ज़रूरी है ताकि वे प्रभावी रूप से आवाज़ उठा सकें और मानवीय एकजुटता दिखा सकें।
1. तख्तापलट से गृहयुद्ध तक: टूटी रेखाएँ
अक्टूबर 2021 में सूडान की नाज़ुक लोकतांत्रिक सरकार को सैन्य तख्तापलट ने गिरा दिया। दो प्रमुख सशस्त्र शक्तियाँ सूडान आर्म्ड फ़ोर्सेज़ (SAF) के जनरल अब्देल फ़त्ताह अल-बुरहान और रैपिड सपोर्ट फ़ोर्सेज़ (RSF) के नेता मोहम्मद “हेमदती” दगालो सत्ता-साझेदारी और एकीकरण के सवाल पर भिड़ गए।
15 अप्रैल 2023 को RSF ने खार्तूम और अन्य इलाकों में सैन्य ठिकानों पर हमला किया। सत्ता संघर्ष ने जल्द ही पूरे देश को झुलसाने वाले युद्ध का रूप ले लिया।
दारफुर क्षेत्र में स्थिति और भयावह है। RSF वही ताकत है जो पहले "जनजावीद" मिलिशिया के रूप में जानी जाती थी वही संगठन जिसने 2000 के दशक में जातीय समुदायों पर कहर बरपाया था। आज वही हिंसा दोबारा लौट आई है।
2. दारफुर: इतिहास का भयावह दोहराव
दारफुर की त्रासदी नई नहीं है। शुरुआती 2000 के दशक में सरकारी सेनाओं और जनजावीद मिलिशिया ने फ़ुर, ज़घावा और मसालित समुदायों के विरुद्ध जला-डालो अभियान चलाया था। लगभग तीन लाख लोग मारे गए और लाखों विस्थापित हुए।
2023 के बाद के युद्ध में वही पैटर्न दोबारा देखने को मिला। RSF और उससे जुड़ी सेनाओं पर बड़े पैमाने पर हत्याओं, गाँवों को जलाने, बलात्कार, लूटपाट और जातीय सफ़ाए के आरोप लगे हैं।
7 जनवरी 2025 को अमेरिका ने आधिकारिक रूप से घोषणा की कि RSF और उसकी सहयोगी मिलिशियाओं ने दारफुर में नरसंहार (Genocide) किया है। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अत्यंत गंभीर निर्धारण है। फिर भी, ऐसे बयानों के बाद भी वास्तविक कार्रवाई सीमित रहती है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) की जांचें जारी हैं, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति और सुरक्षा की कमी इसे कठिन बनाती है।
3. अकाल: मौन हथियार
हिंसा का सबसे घातक रूप भूख है। 2024 में उत्तरी दारफुर के ज़मज़म शिविर में औपचारिक रूप से अकाल घोषित किया गया। लगातार घेरेबंदी, राहत अवरोध और फसल विनाश ने लोगों को भोजन से वंचित कर दिया है।
2025 तक, करीब 2.5 करोड़ सूडानी, यानी आधी आबादी, गंभीर खाद्य संकट में है। ज़मज़म शिविर में कुपोषण दर और मृत्यु दर भयावह स्तर तक पहुँच चुकी है। कुछ रिपोर्टें बताती हैं कि पाँच लाख से अधिक बच्चे भुखमरी से मर चुके हैं।
यह अकाल प्राकृतिक नहीं, बल्कि मनुष्य-निर्मित है। युद्धरत दलों ने जानबूझकर फसलों को जलाया, सहायता काफ़िलों को लूटा और राहत आपूर्ति रोकी। कई क्षेत्रों में RSF ने मानवीय पहुँच को रोककर अकाल को राजनीतिक हथियार बना दिया है।
4. मानवीय शून्यता
सूडान आज दुनिया के सबसे बड़े विस्थापन संकटों में से एक का सामना कर रहा है। 1.2 करोड़ से अधिक लोग देश के भीतर ही विस्थापित हैं और लाखों पड़ोसी देशों में भाग गए हैं। राहत एजेंसियों की पहुँच सीमित है सड़कें बंद हैं, हवाई रास्ते अवरुद्ध हैं, और सहायता कर्मियों पर हमले बढ़ रहे हैं।
दारफुर में शरणार्थी शिविरों और अस्पतालों पर सीधे हमले हुए हैं। एल-फ़ाशर में अल-अरक़म आश्रय पर बमबारी में महिलाओं और बच्चों सहित दर्जनों लोग मारे गए। मानवीय एजेंसियाँ चेतावनी दे रही हैं कि राहत-अवरोध के कारण लाखों जानें खतरे में हैं।
फिर भी, अंतरराष्ट्रीय सहायता धनराशि आवश्यकताओं की तुलना में बेहद कम है। कई राहत योजनाएँ आधी भी पूरी नहीं हो पा रही हैं।
5. क्यों यह विश्व और प्रवासी समुदाय के लिए मायने रखता है
(A) अंतरराष्ट्रीय नैतिकता की परीक्षा
जब किसी सरकार द्वारा नरसंहार घोषित किया जाता है, तो अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जिम्मेदारी बनती है। परंतु अगर कार्रवाई न हो, तो यह सिर्फ़ प्रतीक बनकर रह जाती है। दारफुर इसका सजीव उदाहरण है।
(B) क्षेत्रीय अस्थिरता का खतरा
सूडान की अस्थिरता उसके पड़ोसियों चाड, दक्षिण सूडान, इथियोपिया तक फैल सकती है। इससे पूरी पूर्वी अफ़्रीका की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है।
(C) नैतिक जिम्मेदारी
प्रवासी सूडानी और मानवाधिकार समर्थकों पर यह नैतिक कर्तव्य है कि वे पीड़ितों की आवाज़ ज़िंदा रखें। ध्यान हटने का अर्थ है न्याय की संभावना का अंत।
(D) अतीत से सबक
2000 के दशक में अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया धीमी और बिखरी हुई थी। इस बार दुनिया को सीखकर तेज़, पारदर्शी और प्रभावी जवाब देना होगा।
कैसे करें: जागरूकता और कार्रवाई के व्यावहारिक कदम
- विश्वसनीय जानकारी जुटाएँ
- संयुक्त राष्ट्र, ह्यूमन राइट्स वॉच, रिफ्यूजीज़ इंटरनेशनल जैसी एजेंसियों की रिपोर्टें पढ़ें।
- सोशल मीडिया की अफ़वाहों से बचें।
- पीड़ितों की आवाज़ बढ़ाएँ
- साक्षात्कार, वीडियो या लेख साझा करें।
- सूडानी पत्रकारों और समुदायों से जुड़ें।
- नीति-निर्माताओं को सक्रिय करें
- अपने देश के सांसदों, दूतावासों और विदेश मंत्रालय से संपर्क करें।
- अंतरराष्ट्रीय न्याय और प्रतिबंधों की मांग करें।
- मानवीय सहायता का समर्थन करें
- विश्वसनीय संस्थाओं को दान दें।
- राहत कार्य की पारदर्शिता पर नज़र रखें।
- प्रवासी समुदायों को संगठित करें
- जागरूकता अभियान, फिल्म प्रदर्शन, या शांति विजिल आयोजित करें।
- स्थानीय सरकारों और मीडिया से संवाद करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. क्या सूडान में वास्तव में अकाल घोषित हुआ है?
हाँ। अगस्त 2024 में उत्तरी दारफुर के ज़मज़म शिविर में आधिकारिक रूप से अकाल की घोषणा हुई, क्योंकि सहायता पहुँच अवरुद्ध थी।
2. अमेरिका की “Genocide Determination” का क्या मतलब है?
7 जनवरी 2025 को अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर RSF को नरसंहार का दोषी घोषित किया, जिससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध और जांच शुरू हुईं।
3. क्या अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) अब कार्रवाई कर सकता है?
ICC पहले से दारफुर मामलों की जांच कर रहा है, लेकिन साक्ष्य, गवाह सुरक्षा और राजनीतिक सहयोग की कमी इसे धीमा करती है।
4. प्रवासी समुदाय की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?
वे दुनिया भर में जागरूकता फैला सकते हैं, निधि जुटा सकते हैं, और सरकारों पर कार्रवाई का दबाव बना सकते हैं।
5. एक आम व्यक्ति आज क्या कर सकता है?
विश्वसनीय जानकारी साझा करें, मानवीय संगठनों को सहयोग दें, अपने प्रतिनिधियों को पत्र लिखें, और समुदाय-स्तर पर जागरूकता फैलाएँ।