जब त्रासदी से बदली आव्रजन नीति: ट्रंप का ग्रीन कार्ड लॉटरी पर रोक
ब्राउन यूनिवर्सिटी और MIT से जुड़े गोलीकांड के बाद अमेरिका की आव्रजन नीति में लिया गया फैसला केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा डाइवर्सिटी वीज़ा (ग्रीन कार्ड लॉटरी) कार्यक्रम को निलंबित करना इस बात का संकेत है कि अमेरिका में अब आव्रजन नीतियाँ राष्ट्रीय सदमे और राजनीतिक सोच के मेल से तय की जा रही हैं। यह निर्णय किसी एक व्यक्ति या एक घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अमेरिका की उस ऐतिहासिक पहचान को चुनौती देता है जिसमें वह अवसरों और खुलापन का प्रतीक रहा है।
यह मामला यह भी दिखाता है कि किस तरह हिंसक घटनाएँ आव्रजन जैसे जटिल और संवेदनशील विषयों पर त्वरित, दूरगामी फैसलों का आधार बन जाती हैं।
विश्वविद्यालय परिसरों से संघीय नीति तक
घटना का विवरण गंभीर और झकझोर देने वाला है। पुर्तगाल के नागरिक क्लाउडियो नेवेस वालेंटे, जो 2017 से अमेरिका में स्थायी निवासी था, पर ब्राउन यूनिवर्सिटी में हुई गोलीबारी में दो छात्रों की हत्या और कई अन्य के घायल होने का आरोप लगा। इसके अलावा, MIT के एक प्रोफेसर की हत्या से भी उसका नाम जुड़ा। बाद में अधिकारियों ने पुष्टि की कि वह आत्महत्या कर चुका था।
जांच अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि आव्रजन नीति पर असर दिखने लगा। होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि राष्ट्रपति के निर्देश पर अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं (USCIS) को डाइवर्सिटी वीज़ा लॉटरी कार्यक्रम को रोकने का आदेश दिया गया है। जिस रास्ते से संदिग्ध अमेरिका आया था, उसी रास्ते को बंद करने का फैसला कर लिया गया।
यह तेज़ प्रतिक्रिया बताती है कि प्रशासन की प्राथमिकता अपराध के सामाजिक या कानूनी कारणों से ज़्यादा, आव्रजन ढांचे पर सवाल उठाने की रही।
डाइवर्सिटी वीज़ा लॉटरी वास्तव में थी क्या?
डाइवर्सिटी वीज़ा कार्यक्रम को अमेरिकी कांग्रेस ने 1990 के दशक में एक विशेष उद्देश्य से शुरू किया था अमेरिका में आव्रजन को कुछ गिने चुने देशों तक सीमित होने से रोकना। इसके तहत हर साल लगभग 50,00 ग्रीन कार्ड उन देशों के नागरिकों को दिए जाते हैं जिनकी अमेरिका में जनसंख्या अपेक्षाकृत कम है।
नाम भले ही “लॉटरी” हो, लेकिन यह बिना जांच पड़ताल का रास्ता नहीं है। चयन के बाद उम्मीदवारों को मेडिकल जांच, सुरक्षा जांच, कांसुलर इंटरव्यू और सभी कानूनी मानकों से गुजरना पड़ता है। लॉटरी जीतना केवल आवेदन का अवसर देता है, प्रवेश की गारंटी नहीं।
2025 में करीब 2 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन वास्तविक संख्या में बहुत कम लोगों को स्थायी निवास मिला। पुर्तगाल जैसे देशों को इसमें गिने चुने स्लॉट ही मिलते हैं, जिससे यह साफ़ होता है कि यह कोई खुला दरवाज़ा नहीं था।
ट्रंप की पुरानी असहमति और नई दिशा
राष्ट्रपति ट्रंप का इस कार्यक्रम के प्रति विरोध नया नहीं है। वे लंबे समय से इसे “यादृच्छिक” और “सुरक्षा के लिए ख़तरा” बताते रहे हैं। उनका तर्क रहा है कि अमेरिका को केवल उन प्रवासियों को स्वीकार करना चाहिए जो या तो उच्च कौशल वाले हों या आर्थिक रूप से बड़े निवेश कर सकें।
इसी पृष्ठभूमि में हाल ही में शुरू किया गया “गोल्ड कार्ड” कार्यक्रम महत्वपूर्ण हो जाता है, जिसमें लाखों डॉलर निवेश करने वालों को वीज़ा देने की बात कही गई है। एक तरफ़ कम प्रतिनिधित्व वाले देशों के लोगों के लिए रास्ता बंद किया जा रहा है, दूसरी ओर अमीरों के लिए दरवाज़े खोले जा रहे हैं।
यह बदलाव अमेरिका की आव्रजन नीति की मूल सोच में परिवर्तन को दर्शाता है समावेशन से लेन देन की ओर।
त्रासदी को नीति का औज़ार बनाना
आलोचकों का मानना है कि यह निर्णय एक दुखद घटना को राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करने का उदाहरण है। इससे पहले भी, किसी अफ़ग़ान नागरिक से जुड़ी हिंसक घटना के बाद, पूरे क्षेत्र पर व्यापक आव्रजन प्रतिबंध लगाए गए थे।
समस्या यह है कि आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं। शोध बताते हैं कि कानूनी प्रवासी आमतौर पर हिंसक अपराधों में स्थानीय नागरिकों की तुलना में कम शामिल होते हैं। इसके बावजूद, एक घटना जनमत को प्रभावित कर देती है और नीति को दिशा दे देती है।
कानूनी पेच और संभावित टकराव
डाइवर्सिटी वीज़ा कार्यक्रम कांग्रेस द्वारा बनाया गया था, इसलिए इसे पूरी तरह समाप्त करना कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र से बाहर माना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस निलंबन को अदालत में चुनौती दी जाएगी।
यह प्रशासन पहले भी संवैधानिक और कानूनी सीमाओं को चुनौती देता रहा है चाहे वह जन्मसिद्ध नागरिकता हो या शरण नीतियाँ। सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों से यह स्पष्ट है कि यह टकराव अभी खत्म नहीं हुआ है।
सुरक्षा बनाम प्रतीकात्मक राजनीति
सबसे अहम सवाल यह है कि क्या इस तरह का कदम वास्तव में अमेरिका को सुरक्षित बनाता है। जिस व्यक्ति पर आरोप लगे, वह वर्षों से अमेरिका में रह रहा था और उसने सभी कानूनी प्रक्रियाएँ पूरी की थीं।
कार्यक्रम को रोकने से न तो बंदूक कानून बदलते हैं, न मानसिक स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरती है। यह कदम मुख्यतः एक प्रतीकात्मक संदेश देता है सरकार सख़्त है और तुरंत कार्रवाई कर सकती है।
दुनिया को जाने वाला संदेश
वैश्विक स्तर पर इसका प्रभाव और भी गहरा है। डाइवर्सिटी वीज़ा उन गिने चुने कानूनी रास्तों में से था जिनसे बिना पारिवारिक या कॉर्पोरेट समर्थन के लोग अमेरिका आ सकते थे।
इसके बंद होने से यह संकेत जाता है कि अमेरिका अब कम समावेशी और अधिक चयनात्मक होता जा रहा है जहाँ धन और विशेष कौशल ही प्रवेश का मुख्य आधार होंगे।
आगे क्या हो सकता है?
आने वाले समय में कुछ बातें लगभग तय मानी जा रही हैं:
- अदालतों में कानूनी चुनौतियाँ
- पहले से चयनित उम्मीदवारों के लिए अनिश्चितता
- वैध आव्रजन के रास्तों में और कटौती
- अमीर प्रवासियों को प्राथमिकता
यह फैसला एक बड़ी रणनीति का हिस्सा लगता है, न कि एक अस्थायी प्रतिक्रिया।
FAQ
ग्रीन कार्ड लॉटरी अभी क्यों रोकी गई?
क्योंकि एक हालिया गोलीकांड के संदिग्ध का प्रवेश इसी कार्यक्रम से हुआ था।
क्या यह कार्यक्रम सच में बिना जांच के था?
नहीं, इसमें भी अन्य ग्रीन कार्ड की तरह पूरी जांच होती थी।
क्या राष्ट्रपति इसे कानूनी रूप से बंद कर सकते हैं?
पूरी तरह समाप्त करने के लिए कांग्रेस की भूमिका आवश्यक होगी।
क्या इससे सुरक्षा बढ़ेगी?
इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
क्या यह कार्यक्रम वापस आ सकता है?
अदालतों और राजनीतिक हालात पर निर्भर करेगा।
ग्रीन कार्ड लॉटरी का निलंबन यह सवाल उठाता है कि अमेरिका किस तरह का देश बनना चाहता है डर से संचालित या मूल्यों से। इसका जवाब आने वाले वर्षों में अमेरिकी लोकतंत्र की दिशा तय करेगा।