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फ्रांस में दक्षिणपंथी प्रदर्शन, फ्रेंच झंडा, पुलिस बैरिकेड्स, आक्रोशित भीड़
2025 के चुनाव में दक्षिणपंथ के रिकॉर्ड सीट जीतने के बाद पेरिस में प्रदर्शनकारियों और पुलिस में टकराव।

फ्रांस में उग्र दक्षिणपंथ का उभार और इसका वैश्विक अर्थ

2025 का फ्रांसीसी चुनाव केवल राष्ट्रीय नहीं है-यह वैश्विक असंतोष, युवाओं की निराशा और लोकतंत्र की लड़ाई का प्रतिबिंब है।


वह झटका जिसकी पहले से आहट थी

यह सब मार्सेई के कैफ़े में धीरे-धीरे शुरू हुआ, और फिर पेरिस की बस्तियों में आग की तरह फैल गया। 30 जून 2025 को फ्रांस की जनता ने जब नेशनल असेंबली का चुनावी नक्शा देखा, तो वह गहराई से नीला हो चुका था - पर यह नीला रंग स्थिरता या शांति का नहीं था, बल्कि नेशनल रैली पार्टी के तूफानी दक्षिणपंथी झंडे का था, जिसे मरीन ले पेन ने नेतृत्व दिया।

इतिहास में पहली बार, फ्रांस की संसद में उग्र दक्षिणपंथी पार्टी को बहुमत मिला।

कई लोगों के लिए यह एक अपरिहार्य परिणति थी - वर्षों की ध्रुवीकरण राजनीति का परिणाम। दूसरों के लिए यह एक डरावना नया अध्याय था।

यह केवल सत्ता परिवर्तन नहीं था। यह एक संकेत था - सिर्फ फ्रांस के लिए नहीं, पूरे विश्व के लिए।


यूरोप झुक रहा है दायीं ओर

फ्रांस अकेला नहीं है। इटली से लेकर हंगरी, स्वीडन से लेकर स्लोवाकिया तक, राष्ट्रवादी और लोकलुभावन पार्टियाँ उभर रही हैं। पर फ्रांस का वजन अलग है - यह वह देश है जिसने liberté, égalité, fraternité की नींव रखी। जब फ्रांस मुड़ता है, तो दुनिया देखती है।

ले पेन की पार्टी ने लोगों के डर को मुद्दा बनाकर वोट बटोरे - आप्रवासन, अपराध, पहचान का संकट, आर्थिक अस्थिरता। ये विषय नए नहीं हैं, लेकिन इनकी तीव्रता और खासकर युवाओं में पकड़ चौंकाने वाली है। लगभग 40% युवा पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं ने दक्षिणपंथ को वोट दिया। वामपंथ बिखरा हुआ था, थका हुआ था। और मैक्रों की केंद्रीयता अब फीकी और निर्जीव लग रही थी।

यहाँ रुकिए।


आख़िरी बार कब आपने ऐसा मतपत्र देखा जिसमें डर नहीं, आशा लिखी हो?


युवाओं की निराशा और भावनात्मक बेचैनी

फ्रांस के युवा पीढ़ी का दक्षिणपंथ की ओर झुकाव सिर्फ़ नस्लवाद या अंध-राष्ट्रवाद से प्रेरित नहीं है। ये वे युवा हैं जिन्होंने महामारी, आर्थिक मंदी, जलवायु संकट, और वैश्विक अनिश्चितता के बीच होश संभाला।

इनके लिए दुनिया एकजुटता का नहीं, बल्कि संघर्ष का मैदान बन चुकी है।

पेरिस के बाहरी क्षेत्र सैं-सैं-डेनिस में, 22 वर्षीय छात्र मलिक ने Le Monde को बताया:

“मैं ले पेन का समर्थक नहीं हूँ, लेकिन मैं चाहता हूँ कोई कुछ तो करे। वामपंथ कहता है ‘धैर्य रखो’। दक्षिणपंथ कहता है ‘कब्जा करो’। मैंने कब्जा चुना।”

यह भावनात्मक तर्क - क्रोध और निराशा से उपजा हुआ - सिर्फ फ्रांस तक सीमित नहीं है। दुनिया भर के युवाओं में यह गूंज रही है।

क्यों युवा अपना वतन छोड़ रहे हैं इस पर गहराई से विश्लेषण करता है।


लोकतंत्र की विकृत छाया

जो फ्रांस में हो रहा है वह लोकतंत्र का अंत नहीं है - यह लोकतंत्र का भ्रमित रूप है। मतदान होता है, लेकिन भावनात्मक जगह सिर्फ डर और थकावट से भरी होती है।

2025 में, लोकतंत्र किसी तख्तापलट से नहीं मरता। वह तब कमजोर होता है जब सरकारें निष्क्रिय दिखती हैं, विपक्ष बंटा होता है, और केवल उग्र विचार ही स्पष्ट प्रतीत होते हैं।

फ्रांस की जटिल उपनिवेशिक विरासत, कट्टर धर्मनिरपेक्षता और विविध समाज इस उबाल के लिए उपयुक्त भूमि बनाते हैं।


1940 की परछाईं: स्मृति और भूल

फ्रांस का अतीत अब भी जीवित है।

लियों में एक प्रदर्शनकारी के पोस्टर पर लिखा था:

“फिर कभी नहीं? फिर से।”

दक्षिणपंथ के उभार से कुछ लोगों को विची फ्रांस और नाज़ी सहयोग की याद आई। लेकिन ले पेन की रणनीति अब बदल चुकी है - अब वह आर्थिक योजनाओं और साफ-सुथरे प्रचार के ज़रिये मतदाताओं को लुभा रही हैं।

पर इतिहास की यादें अगर ठीक से न सिखाई जाएं, तो वे ढीली हो जाती हैं। और फिर वही गलतियाँ दोहराई जाती हैं।

इस विषय पर 1941 और 2025 का कैलेंडर – समय की पुनरावृत्ति लेख एक नई दृष्टि प्रदान करता है।


पाठकों के लिए एक जर्नल प्रश्न

कुछ देर ठहरिए।

अगर आपके देश में कोई लोकलुभावन पार्टी सत्ता में आ जाए, तो आपकी ज़िंदगी में क्या बदल जाएगा? आप प्रतिरोध करेंगे, समझौता करेंगे या खुद को अलग कर लेंगे?

10 मिनट के लिए लिखिए। राजनीति नहीं, अपने अंदर की प्रतिक्रिया पर। आप सच में किससे डरते हैं?


यह सिर्फ़ फ्रांस नहीं है

फ्रांस की चुनावी खबर एक राष्ट्रीय कहानी नहीं, वैश्विक प्रवृत्ति का हिस्सा है।

    • अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के फैसले लोकतंत्र की दिशा तय कर रहे हैं।
    • भारत में चुनावों का स्वरूप व्यक्तिवादी होता जा रहा है।
    • जर्मनी में प्रवासी-विरोधी भावनाएं तेज़ हो रही हैं।
    • ब्राज़ील में लोकतंत्र अब भी टूटे-बिखरे भरोसे पर टिका है।

फ्रांस का चुनाव एक संकेत है कि वैश्विक व्यवस्था थक चुकी है। और राष्ट्रवाद फिर से ताकत बटोर रहा है।


पहचान की राजनीति: “असली फ्रांसीसी” कौन?

ले पेन की पार्टी सिर्फ़ प्रवासियों को रोकना नहीं चाहती - वह “फ्रेंच पहचान” को परिभाषित करना चाहती है। उनके लिए फ्रांस मतलब: फ्रेंच नाम, संस्कृति, वेशभूषा।

पर “फ्रांस” का असली चेहरा कौन है?

मार्सेई की एक नर्स, फातिमा कहती हैं:

“मैं यहीं जन्मी, यहीं की नागरिक हूँ, टैक्स देती हूँ। पर जब वो कहते हैं ‘असली फ्रांस’ - तो उनका मतलब मैं नहीं होती।”

यह वही राजनीति है जो आपको कहती है: तुम यहाँ के नहीं हो, भले ही तुम यहीं पैदा हुए हो।


टेक्नोलॉजी, पॉप-कल्चर और नया प्रचार

यह चुनाव टाउन हॉल बैठकों से नहीं जीता गया। यह जीता गया टिकटॉक, यूट्यूब औरटेलीग्राम से।

दक्षिणपंथी प्रचारक मीम, म्यूज़िक और हास्य में राष्ट्रवाद को लपेटकर परोसते हैं। युवा नीतियाँ नहीं पढ़ते - वे वाइब्स को फॉलो करते हैं।

इस पर हालिया लेख पॉप कल्चर हमारी भावनात्मक परछाई क्यों है इस प्रवृत्ति की गहराई से पड़ताल करता है।


वामपंथ का खोखलापन

और वामपंथ? बिखरा हुआ। अंतर्मंथन में खोया हुआ।

जब दायाँ पक्ष सशक्त भावनाएं लेकर सामने आया, वाम सिर्फ़ परिभाषाओं पर बहस करता रह गया। भावनात्मक ताकत किसी शब्दकोष से नहीं आती। वह आती है विश्वास से। ऊर्जा से। स्पष्टता से।

अगर वामपंथ को फिर से जीतना है, तो सिर्फ़ आलोचना नहीं, आस्था और साहस देना होगा।


अब क्या होगा?

फ्रांस के राजनीतिक भविष्य पर अनिश्चितता की धुंध छा गई है।

कई लोग नागरिक अधिकारों के हनन से डरते हैं। कुछ प्रेस की आज़ादी को लेकर चिंतित हैं। लेकिन बहुतों को लगता है कि यह लोकतंत्र की असली परीक्षा होगी।

एक बात स्पष्ट है: यह कोई दुर्घटना नहीं थी। यह चेतावनी है।

और बाक़ी दुनिया?

उसे सुनना चाहिए। ध्यान से।


एक व्यक्तिगत याद

एक बार मैंने कॉलेज के दिनों में फ्रांस की यात्रा की थी। पेरिस की सड़कों पर, Sacré-Cœur के नीचे बैठकर एक मोरक्कन-फ्रांसीसी गिटारिस्ट को La Vie en Rose बजाते सुना था।

उस शाम हमने राजनीति पर भी बात की, लेकिन ज़्यादा बातें आशा पर थीं।

मैं आज भी मानना चाहता हूँ कि वो फ्रांस अब भी ज़िंदा है।

और शायद, वह फिर से जीत सकता है।

Motiur Rehman

Written by

Motiur Rehman

Experienced Software Engineer with a demonstrated history of working in the information technology and services industry. Skilled in Java,Android, Angular,Laravel,Teamwork, Linux Server,Networking, Strong engineering professional with a B.Tech focused in Computer Science from Jawaharlal Nehru Technological University Hyderabad.

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