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एक व्यक्ति दो रास्तों के बीच खड़ा है, एक ओर सामाजिक अपेक्षाएं और दूसरी ओर व्यक्तिगत सच्चाई
सामाजिक अपेक्षाओं और व्यक्तिगत सच्चाई के बीच का द्वंद्व

समाज की चुप्पी वाली स्क्रिप्ट: जो हमें सिखाया गया, उसे फिर से लिखना

समाज हमारी पहचान कैसे गढ़ता है और हम अदृश्य नियमों से कैसे मुक्त हो सकते हैं

हम एक पहले से लिखी हुई कहानी में जन्म लेते हैं।

हमारे पहले शब्द बोलने से पहले ही समाज ने हमारे कंधों पर अपेक्षाओं का बोझ रख दिया होता है-कैसे व्यवहार करना चाहिए, कौन से किरदार निभाने हैं, सफलता कैसी दिखनी चाहिए, प्यार कैसा महसूस होना चाहिए। ये हैं समाज की चुप्पी वाली स्क्रिप्ट्स।

शुरुआत में हम इन्हें नहीं देख पाते। लेकिन हम इन्हें गहराई से महसूस करते हैं।

ये हमें बताते हैं कि क्या 'सामान्य' है, क्या 'सही' है, क्या 'योग्य' है। और हम में से अधिकतर लोग वर्षों-यहां तक कि दशकों-तक ऐसे किरदार निभाते रहते हैं जिनका हमने चुनाव ही नहीं किया था।

चलिए इस बारे में ईमानदारी से बात करते हैं।


कौन लिखता है हमारी स्क्रिप्ट?

हर संस्कृति में कुछ अनकहे नियम होते हैं।

    • लड़कियों को शर्मीला होना चाहिए।
    • लड़कों को रोना नहीं चाहिए।
    • शादी ही जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है।
    • नौकरी से ही पहचान बनती है।
    • जो सबसे ज्यादा कमाता है, वही सफल है।

ये वाक्य आम लग सकते हैं, लेकिन ये हमारी पहचान की नींव बनाते हैं।

मुझे याद है जब मैंने अपने परिवार को बताया कि मैं कला में करियर बनाना चाहता हूँ।

उन्होंने कहा, “तुम भूखे मरोगे।”

और उस दिन पहली बार मुझे ये एहसास हुआ कि मेरे जीवन की स्क्रिप्ट कोई और लिख रहा था।


कैसे ये स्क्रिप्ट हमें ढालते हैं

समाज की ये स्क्रिप्ट एक अदृश्य दीवार की तरह होती हैं।

    • आप अपनी पहचान को लेकर खुलकर बात नहीं कर सकते क्योंकि ‘लोग क्या कहेंगे’।
    • आप अपनी पसंद की राह नहीं चुन सकते क्योंकि ‘परिवार की इज्जत’।
    • आप अकेले खुश नहीं हो सकते क्योंकि ‘किसी के साथ होना जरूरी है’।

इन सबके बीच, एक दिन आप खुद को खो देते हैं।

“मैंने इतना समय समाज को खुश करने में बिताया कि खुद को कभी जान ही नहीं पाया।” - एक दोस्त की बात


आपकी कहानी, आपके शब्दों में

पर क्या हम अपनी स्क्रिप्ट खुद नहीं लिख सकते?

हर बार जब आप कोई नया रास्ता चुनते हैं जो समाज के नियमों से मेल नहीं खाता, आप एक नया अध्याय लिखते हैं।

हर बार जब आप खुद से ईमानदारी बरतते हैं, आप उस पुराने स्क्रिप्ट को फाड़ते हैं।

“जो स्क्रिप्ट आपने नहीं चुनी, उसे निभाना कोई कर्तव्य नहीं है।”

- समाज की स्क्रिप्ट को बदलना शुरू करें


अदृश्य दबाव का सामना कैसे करें?

यहाँ कुछ सवाल हैं जो आपको सोचने पर मजबूर कर सकते हैं:

    • क्या आप जो जीवन जी रहे हैं, वो आपने चुना है?
    • कौन से सामाजिक नियम आपको सबसे ज्यादा बांधते हैं?
    • अगर डर ना होता, तो आप क्या करते?

जर्नलिंग प्रॉम्प्ट:

आज से दस साल बाद का एक दिन लिखिए जब आप पूरी तरह अपने सच के साथ जी रहे हों। वो दिन कैसा दिखता है?


कुछ सच्ची कहानियाँ

    • रीमा ने शादी के दबाव को नकारते हुए अपने शहर में महिलाओं के लिए स्टार्टअप शुरू किया।
    • अर्जुन ने कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर पर्वतों में एक होमस्टे खोला जहाँ वह खुद की पहचान से जुड़ पाया।

ये लोग 'नॉर्मल' स्क्रिप्ट से बाहर निकले। और उन्होंने एक सच्चा, गहराई से जुड़ा जीवन पाया।

“मैंने छोड़ा सब कुछ जो मेरा नहीं था, और पाया वही जो हमेशा मेरा था - खुद।” - अपनी पहचान अपनाओ


संस्कृति का मौन प्रभाव

कभी-कभी संस्कृति कोई जोरदार आदेश नहीं देती। वो बस धीरे-धीरे आपके जीवन को ढालती रहती है।

    • बच्चों के नाम तक सामाजिक प्रतिष्ठा को ध्यान में रखकर रखे जाते हैं
    • कपड़े, भाषा, शादी का समय - सब समाज की नज़रों से तय होते हैं

“वो नियम जो दिखते नहीं, वही सबसे ताकतवर होते हैं।” - कैसे संस्कृति हमें गढ़ती है


अब जब आप जाग रहे हैं...

तो सवाल यह है: क्या आप पुराने स्क्रिप्ट में रहेंगे?

या आप नया अध्याय शुरू करेंगे?


आपका सच, आपकी स्क्रिप्ट।

चलो उसे फिर से लिखते हैं।

अनकही ज़िंदगी शुरू करें

Motiur Rehman

Written by

Motiur Rehman

Experienced Software Engineer with a demonstrated history of working in the information technology and services industry. Skilled in Java,Android, Angular,Laravel,Teamwork, Linux Server,Networking, Strong engineering professional with a B.Tech focused in Computer Science from Jawaharlal Nehru Technological University Hyderabad.

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