शुरुआत

हमेशा ऑनलाइन रहना जेन-जेड को थका रहा है। शायद राहत किसी नए ऐप में नहीं, बल्कि उससे दूर रहने में है।

थकान

लगातार स्क्रॉलिंग और नोटिफिकेशन ने मज़े की जगह थकावट ला दी है। दिमागी धुंध, चिंता और थकान आम हो गई है।

नींद

ब्लू लाइट और लगातार पिंग से नींद टूटती है। जेन-जेड की नींद अब औसतन सिर्फ 6-6.5 घंटे रह गई है।

रीसेट

डिजिटल मिनिमलिज़्म अब ट्रेंड नहीं, जरूरत बन चुका है-सीमाएं तय करना, स्क्रीन से दूरी और सन्नाटे को अपनाना।

ऑफलाइन

रनिंग क्लब, बुक सर्कल, टेक-फ्री मीटअप-जेन-जेड असली रिश्तों और पलों से फिर जुड़ रहा है।

रिश्ते

स्क्रॉलिंग अपनापन नहीं देती। लोग और भी अकेले महसूस करते हैं, इसलिए ऑफलाइन जगहें सहारा बन रही हैं।

चॉइस

बेहतर बदलाव के लिए अपनाएँ: • टेक की सीमा • ध्यानपूर्ण सुबह • लोकल क्लब • नींद को प्राथमिकता

हाइब्रिड

भविष्य पूरी तरह ऑफलाइन नहीं होगा, बल्कि ऐसा संतुलन जहाँ तकनीक मदद करे, हावी न हो।

आजमाएँ

3 आसान स्टेप: 1) फोन-फ्री मीटअप में शामिल हों 2) सुबह बिना स्क्रीन शुरू करें 3) खाने के समय टेक बास्केट अपनाएँ

संदेश

जेन-जेड सिखा रहा है कि असली हीलिंग स्क्रीन के पार असली जगहों और चेहरों में मिलती है।

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