
पृथ्वी का प्रकोप: ज्वालामुखी, भूकंप और सूनामी क्यों आते हैं?
जानिए पृथ्वी के भीतर छिपी उन शक्तियों के बारे में जो ज्वालामुखी, भूकंप और सूनामी जैसी विनाशकारी घटनाओं को जन्म देती हैं।
(बैकलिंक्स नीचे प्राकृतिक रूप से शामिल हैं)
धरती के नीचे एक अदृश्य शक्ति सक्रिय है। एक ओर जहाँ एक ज्वालामुखी फटता है, दूसरी ओर भूकंप जमीन को हिला देता है, और फिर विशाल सुनामी तट पर टूटती है ये तमाम घटनाएँ भले ही अलग-अलग दिखती हों, लेकिन इनका मूल स्रोत है: हमारी धरती की गतिशील, सदैव बदलती आंतरिक शक्ति। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे ये घटनाएँ होती हैं, इनका आपस में क्या संबंध है, हाल-फिलहाल में इनके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव क्या हैं, और आमतौर पर लोग क्या-क्या प्रश्न पूछते हैं।
1. धरती का इंजन: प्लेट टेक्टॉनिक्स और आंतरिक गर्मी
धरती की बाहरी परत (लिथोस्फीयर) कई टुकड़ों या प्लेटों में टूटती है, जिन्हें हम ‘टेक्टॉनिक प्लेट्स’ कहते हैं। ये प्लेटें धीरे-धीरे हिलती-डुलती हैं, टकराती हैं, पन्नोपी होती हैं या एक-दूसरे के ऊपर से स्लाइड करती हैं।
- जब ये प्लेटें दूरी बनाती हैं (divergent boundary), तब मैग्मा उठ कर नई परत बनाती हैं।
- जब ये प्लेटें एक दूसरे में समाती हैं (convergent boundary), तब तीव्र दबाव, पिघलने वाला मैग्मा और गहरी भूकंप क्रियाएं होती हैं।
- जब ये प्लेटें एक दूसरे के ऊपर से स्लाइड करती हैं (transform boundary), तब तीव्र भूकंप होने की संभावना बढ़ जाती है।
- ये सब क्रियाएँ, जो अंदरूनी गर्मी और मेंटल प्रवाह द्वारा संचालित होती हैं, हमारे ग्रह की अधिकांश ज्वालामुखीय और भूकंपीय सक्रियताओं का मूल कारण हैं।
2. ज्वालामुखी कैसे बनते हैं?
एक ज्वालामुखी मूलतः एक ऐसा ‘वेंट’ है जहाँ मैग्मा, गैसें और राख पृथ्वी की परतों से बाहर निकलती हैं। इसके मुख्य कारण:
- जब मेंटल में चट्टानें पिघलती हैं (उदाहरण-स्वरूप, दबाव अचानक कम होने या ऊंच तापमान की वजह से) और यह मैग्मा कम घनत्व की वजह से ऊपर उठती है।
- यह मैग्मा एक चेंबर में जमा हो जाती है। जब ऊपर की चट्टान इसकी भारी गैसों और दबाव को सह नहीं पाती, तो विस्फोट होता है।
- अधिकतर ज्वालामुखी वहीं बनते हैं जहाँ प्लेटें समा रही हों (उदाहरण-स्वरूप उपडक्षिणी क्षेत्र) या बन रही हों (मध्य-महाद्वीपीय शिलाएँ) या जहाँ प्लेटों से ऊपर “हॉटस्पॉट” हों।
ज्वालामुखी केवल विस्फोट नहीं करते ये गैस, राख, लावा प्रवाह, लाहार (मिट्टी-बाढ) और कभी-कभी बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन तक उत्पन्न कर सकते हैं।
3. भूकंप कैसे उत्पन्न होते हैं?
भूकंप तब होता है जब चट्टानों में जमा तनाव अचानक टूटकर या दरार लेकर मुक्त हो जाता है। प्रमुख कारण:
- जब टेक्टॉनिक प्लेटें धीरे-धीरे हिलती-डुलती हैं और जमीन में दबाव जमा करती हैं, तब यह तनाव चट्टानों में फटने या खिसकने का कारण बन सकता है।
- उपडक्षिणी क्षेत्र में ज़रूरत से अधिक थ्रस्ट (धक्कन) फॉल्ट्स बन सकते हैं, जिनमें बड़े भूकंप उत्पन्न हो सकते हैं।
- ज्वालामुखीय गतिविधि से भी स्थानीय भूकंप हो सकते हैं, क्योंकि मैग्मा का आंदोलन चट्टानों को प्रभावित करता है।
इस प्रकार, भूकंप कभी-कभी ज्वालामुखी गतिविधि का कारण भी हो सकता है, और ज्वालामुखी कभी-कभी भूकंप को प्रेरित कर सकते हैं।
4. सुनामी कैसे बनती है?
सुनामी विशाल समुद्री लहरों की एक श्रृंखला है, जब पानी के विशाल मात्रा में अचानक विस्थापन होता है। मुख्य ट्रिगर:
- समुद्र तल के नीचे या बहुत करीब आये भूकंप विशेष रूप से उपडक्षिणी क्षेत्र में जब समुद्र तल ऊपर उठता या नीचे जाता है, तो पानी एकत्रित होकर लहरें बनाता है।
- समुद्र या तट के करीब ज्वालामुखीय विस्फोट या उसका ढहना जब मैग्मा या चट्टान समुद्र में गिरती है या विस्थापित होती है, तो यह भी सुनामी का कारण बन सकता है।
- दुर्लभ लेकिन संभव कारणों में सूब्मरीन भूस्खलन, ज्वालामुखी की बाहरी ढलान का पतन, यहाँ तक कि उल्कापिंड का समुद्र में गिरना भी शामिल हैं।
इसलिए यदि भूकंप हुआ है, विशेष रूप से तटीय क्षेत्र में, तो सुनामी की चेतावनी के प्रति सतर्क रहना बेहद महत्वपूर्ण है।
5. ये घटनाएँ कैसे आपस में जुड़ी हुई हैं?
- कई बार ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी एक ही प्लेट टेक्टोनिक सेटिंग में विकसित होते हैं उदाहरण के लिए Pacific Ring of Fire।
- एक बड़े भूकंप से ज्वालामुखी चेंबर अस्थिर हो सकती है, जिससे ज्वालामुखी विस्फोट हो सकता है; इसी तरह किसी ज्वालामुखी का पतन सुनामी को प्रेरित कर सकता है।
- जब हम इन संबंधों को समझते हैं, तो हम बेहतर तरीके से प्राकृतिक खतरों का आकलन कर सकते हैं उदाहरण के लिए: यदि उपडक्षिणी क्षेत्र में भूकंप आता है, तो सिर्फ धरती हिलना ही नहीं बल्कि सुनामी और ज्वालामुखी की संभावनाओं का भी सामना करना पड़ सकता है।
6. क्यों कुछ जगहें ज़्यादा जोखिम में हैं?
- प्लेट की सीमाओं के आसपास (विशेष रूप से समन्वयात्मक या समापन-सीमाएं) जोखिम बहुत अधिक होता है।
- “रिंग ऑफ फायर” जैसे क्षेत्र में लगभग 75% सक्रिय ज्वालामुखी और लगभग 90% भूकंप होते हैं।
- तटवर्ती इलाके, उपडक्षिणी खाइयों के पास स्थित, सुनामी और भूकंप दोनों जोखिमों से ग्रस्त हैं।
- स्थानीय भू-विज्ञान, भवन-गुणवत्ता, तैयारियों की स्थिति और चेतावनी-प्रणालियाँ इस बात को तय करती हैं कि किस हद तक ये घटनाएँ विनाशकारी होंगी।
7. वास्तविक-दुनिया में प्रासंगिकता और अप्रत्याशित लिंक
जब आप इन भौगोलिक शक्तियों के बारे में सोचते हैं, तो यह सिर्फ प्राकृतिक घटना तक सीमित नहीं रह जाती ये सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों से भी जुड़ जाती हैं। उदाहरण के लिए:
- वैश्विक आपूर्ति-शृंखलाओं में खलल आ सकता है उदाहरण के लिए राजनीतिक-तकनीकी लिंक देखें यहाँ ।
- आपदाओं की वजह से उत्प्रवास या निर्वासन जैसी समस्याएँ जन्म ले सकती हैं विवरण देखें यहाँ ।
- शिक्षा-वित्तीय कार्यक्रमों पर संकट पड़ सकता है उदाहरण के लिए भारत के स्कॉलरशिप-गाइड को देखें यहाँ ।
- टेक-उद्योग और शेयर-बाजार भी प्रभावित हो सकते हैं जानिए यहाँ ।
- सामाजिक आंदोलन और सार्वजनिक तनाव भी प्राकृतिक आपदाओं के बाद बढ़ सकते हैं जैसे कि ग्रोयपर आंदोलन की पृष्ठभूमि में सामाजिक तनाव का आकलन।
8. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1: क्या एक ज्वालामुखी सुनामी बना सकता है?
हाँ जबकि अधिकांश सुनामी समुद्र तल के नीचे या पास आये भूकंप से उत्पन्न होती हैं, बड़े ज्वालामुखीय विस्फोट (विशेष रूप सेियाँ समुद्र में या तट-पास) भी सुनामी का कारण बन सकते हैं।
Q2: अधिकांश भूकंप क्यों प्लेट सीमाओं के पास होते हैं?
क्योंकि वहीं प्लेटें टकराती हैं, एक दूसरे के नीचे जाती हैं या एक दूसरे के ऊपर से स्लाइड करती हैं इस गति-क्रिया से चट्टानों में दबाव जमा होता है और अंततः टूटने-खिसकने लगती हैं।
Q3: अगर मैं तट से दूर, अंदरूनी भाग में रहता हूँ, तो क्या मुझे सुनामी या ज्वालामुखी का डर है?
तटीय क्षेत्र ही सुनामी-मुख्य होते हैं, लेकिन भूकंप और ज्वालामुखी से प्रभावित क्षेत्रों का प्रभाव अंदरूनी इलाकों तक भी पहुँच सकता है जैसे भूस्खलन, राख-व्यास, लाहार आदि।
Q4: एक भूकंप के बाद सुनामी कितनी जल्दी आ सकती है?
बहुत जल्दी भूकंपीय स्थल और तट की दूरी पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में सिर्फ मिनटों में लहरा जनित हो सकती है। इसलिए चेतावनी-प्रणाली और जल्दी निकलने का मार्ग होना आवश्यक है।
Q5: वैज्ञानिक क्या ठीक-ठीक बता सकते हैं कि कब ज्वालामुखी फटेगा या कब भूकंप आएगा?
अभी तक नहीं वैज्ञानिक संकेतों (जैसे भूकंपीय गतिविधि, गैस उत्सर्जन, भूस्खलन-संकेत) को मॉनिटर करते हैं, लेकिन निश्चित समय कह पाना संभव नहीं है। तैयारी और सतर्कता ही सबसे भरोसेमंद उपाय हैं।
9. निष्कर्ष
पृथ्वी, जो हमें स्थिर दिखती है, वास्तव में निरंतर सक्रिय, गतिशील एक प्रणाली है। ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी इन स्थानान्तरणों के विभिन्न रूप हैं जो हमारे ग्रह की आंतरिक ऊर्जा के बदलते रूपों का प्रतीक हैं। हालांकि हम इन्हें रोक नहीं सकते, लेकिन यदि हम समझें कि ये कैसे जुड़े हुए हैं, और हमारी समाज-व्यवस्था, अर्थव्यवस्था और वैश्विक व्यवस्थाओं से कैसे टकराते हैं तो हम बेहतर तैयार, बेहतर प्रतिक्रिया कर सकते हैं।
जैसे हमने देखा, प्राकृतिक आपदाएँ सिर्फ भौगोलिक घटनाएँ नहीं हैं इनका प्रभाव वैश्विक व्यापार-सुरक्षा, शिक्षा-प्रवासन, सामाजिक आंदोलन और आर्थिक प्रवृत्तियों तक पहुँच सकता है। चाहे आप टेक-नीति पर लेख पढ़ रहे हों, प्रवास-नीति पर सोच रहे हों या शिक्षा-वित्त पर गौर कर रहे हों इन विषयों के पीछे कभी-कभी “धरती की हलचल” भी हो सकती है।
जागरुक रहें, तैयार रहें क्योंकि जब धरती की क्रोधी शक्ति उभरती है, तो जानकारी और तैयारी का महत्व दोगुना हो जाता है।
पृथ्वी की क्रोधी शक्ति: क्यों होते हैं ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी?
(बैकलिंक्स नीचे प्राकृतिक रूप से शामिल हैं)
धरती के नीचे एक अदृश्य शक्ति सक्रिय है। एक ओर जहाँ एक ज्वालामुखी फटता है, दूसरी ओर भूकंप जमीन को हिला देता है, और फिर विशाल सुनामी तट पर टूटती है ये तमाम घटनाएँ भले ही अलग-अलग दिखती हों, लेकिन इनका मूल स्रोत है: हमारी धरती की गतिशील, सदैव बदलती आंतरिक शक्ति। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे ये घटनाएँ होती हैं, इनका आपस में क्या संबंध है, हाल-फिलहाल में इनके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव क्या हैं, और आमतौर पर लोग क्या-क्या प्रश्न पूछते हैं।
1. धरती का इंजन: प्लेट टेक्टॉनिक्स और आंतरिक गर्मी
धरती की बाहरी परत (लिथोस्फीयर) कई टुकड़ों या प्लेटों में टूटती है, जिन्हें हम ‘टेक्टॉनिक प्लेट्स’ कहते हैं। ये प्लेटें धीरे-धीरे हिलती-डुलती हैं, टकराती हैं, पन्नोपी होती हैं या एक-दूसरे के ऊपर से स्लाइड करती हैं।
- जब ये प्लेटें दूरी बनाती हैं (divergent boundary), तब मैग्मा उठ कर नई परत बनाती हैं।
- जब ये प्लेटें एक दूसरे में समाती हैं (convergent boundary), तब तीव्र दबाव, पिघलने वाला मैग्मा और गहरी भूकंप क्रियाएं होती हैं।
- जब ये प्लेटें एक दूसरे के ऊपर से स्लाइड करती हैं (transform boundary), तब तीव्र भूकंप होने की संभावना बढ़ जाती है।
- ये सब क्रियाएँ, जो अंदरूनी गर्मी और मेंटल प्रवाह द्वारा संचालित होती हैं, हमारे ग्रह की अधिकांश ज्वालामुखीय और भूकंपीय सक्रियताओं का मूल कारण हैं।
2. ज्वालामुखी कैसे बनते हैं?
एक ज्वालामुखी मूलतः एक ऐसा ‘वेंट’ है जहाँ मैग्मा, गैसें और राख पृथ्वी की परतों से बाहर निकलती हैं। इसके मुख्य कारण:
- जब मेंटल में चट्टानें पिघलती हैं (उदाहरण-स्वरूप, दबाव अचानक कम होने या ऊंच तापमान की वजह से) और यह मैग्मा कम घनत्व की वजह से ऊपर उठती है।
- यह मैग्मा एक चेंबर में जमा हो जाती है। जब ऊपर की चट्टान इसकी भारी गैसों और दबाव को सह नहीं पाती, तो विस्फोट होता है।
- अधिकतर ज्वालामुखी वहीं बनते हैं जहाँ प्लेटें समा रही हों (उदाहरण-स्वरूप उपडक्षिणी क्षेत्र) या बन रही हों (मध्य-महाद्वीपीय शिलाएँ) या जहाँ प्लेटों से ऊपर “हॉटस्पॉट” हों।
ज्वालामुखी केवल विस्फोट नहीं करते ये गैस, राख, लावा प्रवाह, लाहार (मिट्टी-बाढ) और कभी-कभी बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन तक उत्पन्न कर सकते हैं।
3. भूकंप कैसे उत्पन्न होते हैं?
भूकंप तब होता है जब चट्टानों में जमा तनाव अचानक टूटकर या दरार लेकर मुक्त हो जाता है। प्रमुख कारण:
- जब टेक्टॉनिक प्लेटें धीरे-धीरे हिलती-डुलती हैं और जमीन में दबाव जमा करती हैं, तब यह तनाव चट्टानों में फटने या खिसकने का कारण बन सकता है।
- उपडक्षिणी क्षेत्र में ज़रूरत से अधिक थ्रस्ट (धक्कन) फॉल्ट्स बन सकते हैं, जिनमें बड़े भूकंप उत्पन्न हो सकते हैं।
- ज्वालामुखीय गतिविधि से भी स्थानीय भूकंप हो सकते हैं, क्योंकि मैग्मा का आंदोलन चट्टानों को प्रभावित करता है।
इस प्रकार, भूकंप कभी-कभी ज्वालामुखी गतिविधि का कारण भी हो सकता है, और ज्वालामुखी कभी-कभी भूकंप को प्रेरित कर सकते हैं।
4. सुनामी कैसे बनती है?
सुनामी विशाल समुद्री लहरों की एक श्रृंखला है, जब पानी के विशाल मात्रा में अचानक विस्थापन होता है। मुख्य ट्रिगर:
- समुद्र तल के नीचे या बहुत करीब आये भूकंप विशेष रूप से उपडक्षिणी क्षेत्र में जब समुद्र तल ऊपर उठता या नीचे जाता है, तो पानी एकत्रित होकर लहरें बनाता है।
- समुद्र या तट के करीब ज्वालामुखीय विस्फोट या उसका ढहना जब मैग्मा या चट्टान समुद्र में गिरती है या विस्थापित होती है, तो यह भी सुनामी का कारण बन सकता है।
- दुर्लभ लेकिन संभव कारणों में सूब्मरीन भूस्खलन, ज्वालामुखी की बाहरी ढलान का पतन, यहाँ तक कि उल्कापिंड का समुद्र में गिरना भी शामिल हैं।
इसलिए यदि भूकंप हुआ है, विशेष रूप से तटीय क्षेत्र में, तो सुनामी की चेतावनी के प्रति सतर्क रहना बेहद महत्वपूर्ण है।
5. ये घटनाएँ कैसे आपस में जुड़ी हुई हैं?
- कई बार ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी एक ही प्लेट टेक्टोनिक सेटिंग में विकसित होते हैं उदाहरण के लिए Pacific Ring of Fire।
- एक बड़े भूकंप से ज्वालामुखी चेंबर अस्थिर हो सकती है, जिससे ज्वालामुखी विस्फोट हो सकता है; इसी तरह किसी ज्वालामुखी का पतन सुनामी को प्रेरित कर सकता है।
- जब हम इन संबंधों को समझते हैं, तो हम बेहतर तरीके से प्राकृतिक खतरों का आकलन कर सकते हैं उदाहरण के लिए: यदि उपडक्षिणी क्षेत्र में भूकंप आता है, तो सिर्फ धरती हिलना ही नहीं बल्कि सुनामी और ज्वालामुखी की संभावनाओं का भी सामना करना पड़ सकता है।
6. क्यों कुछ जगहें ज़्यादा जोखिम में हैं?
- प्लेट की सीमाओं के आसपास (विशेष रूप से समन्वयात्मक या समापन-सीमाएं) जोखिम बहुत अधिक होता है।
- “रिंग ऑफ फायर” जैसे क्षेत्र में लगभग 75% सक्रिय ज्वालामुखी और लगभग 90% भूकंप होते हैं।
- तटवर्ती इलाके, उपडक्षिणी खाइयों के पास स्थित, सुनामी और भूकंप दोनों जोखिमों से ग्रस्त हैं।
- स्थानीय भू-विज्ञान, भवन-गुणवत्ता, तैयारियों की स्थिति और चेतावनी-प्रणालियाँ इस बात को तय करती हैं कि किस हद तक ये घटनाएँ विनाशकारी होंगी।
7. वास्तविक-दुनिया में प्रासंगिकता और अप्रत्याशित लिंक
जब आप इन भौगोलिक शक्तियों के बारे में सोचते हैं, तो यह सिर्फ प्राकृतिक घटना तक सीमित नहीं रह जाती ये सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों से भी जुड़ जाती हैं। उदाहरण के लिए:
- वैश्विक आपूर्ति-शृंखलाओं में खलल आ सकता है उदाहरण के लिए राजनीतिक-तकनीकी लिंक देखें यहाँ ।
- आपदाओं की वजह से उत्प्रवास या निर्वासन जैसी समस्याएँ जन्म ले सकती हैं विवरण देखें यहाँ ।
- शिक्षा-वित्तीय कार्यक्रमों पर संकट पड़ सकता है उदाहरण के लिए भारत के स्कॉलरशिप-गाइड को देखें यहाँ ।
- टेक-उद्योग और शेयर-बाजार भी प्रभावित हो सकते हैं जानिए यहाँ ।
- सामाजिक आंदोलन और सार्वजनिक तनाव भी प्राकृतिक आपदाओं के बाद बढ़ सकते हैं जैसे कि ग्रोयपर आंदोलन की पृष्ठभूमि में सामाजिक तनाव का आकलन।
8. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1: क्या एक ज्वालामुखी सुनामी बना सकता है?
हाँ जबकि अधिकांश सुनामी समुद्र तल के नीचे या पास आये भूकंप से उत्पन्न होती हैं, बड़े ज्वालामुखीय विस्फोट (विशेष रूप सेियाँ समुद्र में या तट-पास) भी सुनामी का कारण बन सकते हैं।
Q2: अधिकांश भूकंप क्यों प्लेट सीमाओं के पास होते हैं?
क्योंकि वहीं प्लेटें टकराती हैं, एक दूसरे के नीचे जाती हैं या एक दूसरे के ऊपर से स्लाइड करती हैं इस गति-क्रिया से चट्टानों में दबाव जमा होता है और अंततः टूटने-खिसकने लगती हैं।
Q3: अगर मैं तट से दूर, अंदरूनी भाग में रहता हूँ, तो क्या मुझे सुनामी या ज्वालामुखी का डर है?
तटीय क्षेत्र ही सुनामी-मुख्य होते हैं, लेकिन भूकंप और ज्वालामुखी से प्रभावित क्षेत्रों का प्रभाव अंदरूनी इलाकों तक भी पहुँच सकता है जैसे भूस्खलन, राख-व्यास, लाहार आदि।
Q4: एक भूकंप के बाद सुनामी कितनी जल्दी आ सकती है?
बहुत जल्दी भूकंपीय स्थल और तट की दूरी पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में सिर्फ मिनटों में लहरा जनित हो सकती है। इसलिए चेतावनी-प्रणाली और जल्दी निकलने का मार्ग होना आवश्यक है।
Q5: वैज्ञानिक क्या ठीक-ठीक बता सकते हैं कि कब ज्वालामुखी फटेगा या कब भूकंप आएगा?
अभी तक नहीं वैज्ञानिक संकेतों (जैसे भूकंपीय गतिविधि, गैस उत्सर्जन, भूस्खलन-संकेत) को मॉनिटर करते हैं, लेकिन निश्चित समय कह पाना संभव नहीं है। तैयारी और सतर्कता ही सबसे भरोसेमंद उपाय हैं।
9. निष्कर्ष
पृथ्वी, जो हमें स्थिर दिखती है, वास्तव में निरंतर सक्रिय, गतिशील एक प्रणाली है। ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी इन स्थानान्तरणों के विभिन्न रूप हैं जो हमारे ग्रह की आंतरिक ऊर्जा के बदलते रूपों का प्रतीक हैं। हालांकि हम इन्हें रोक नहीं सकते, लेकिन यदि हम समझें कि ये कैसे जुड़े हुए हैं, और हमारी समाज-व्यवस्था, अर्थव्यवस्था और वैश्विक व्यवस्थाओं से कैसे टकराते हैं तो हम बेहतर तैयार, बेहतर प्रतिक्रिया कर सकते हैं।
जैसे हमने देखा, प्राकृतिक आपदाएँ सिर्फ भौगोलिक घटनाएँ नहीं हैं इनका प्रभाव वैश्विक व्यापार-सुरक्षा, शिक्षा-प्रवासन, सामाजिक आंदोलन और आर्थिक प्रवृत्तियों तक पहुँच सकता है। चाहे आप टेक-नीति पर लेख पढ़ रहे हों, प्रवास-नीति पर सोच रहे हों या शिक्षा-वित्त पर गौर कर रहे हों इन विषयों के पीछे कभी-कभी “धरती की हलचल” भी हो सकती है।
जागरुक रहें, तैयार रहें क्योंकि जब धरती की क्रोधी शक्ति उभरती है, तो जानकारी और तैयारी का महत्व दोगुना हो जाता है।
