ज़ुबीन गर्ग की कहानी: जीवन, रहस्य और विरासत
मूल
ज़ुबीन बर्थाकुर (बाद में गर्ग) 18 नवंबर 1972 को मेघालय में जन्मे और असम में संगीत भरे परिवेश में बड़े हुए।
शुरुआत
19 वर्ष की आयु में 1992 में उनका पहला एलबम “आनामीका” रिलीज़ हुआ। बाद में उन्होंने मुंबई जाकर राष्ट्रीय पहचान बनाई।
बहुमुखी
ज़ुबीन सिर्फ गायक ही नहीं - उन्होंने कई वाद्य बजाए, गीत लिखे, फिल्मों में काम किया, और 40+ भाषाओं में गाया।
मील का पत्थर
उनका हिंदी गीत “Ya Ali” (2006) ने उन्हें राष्ट्रीय की पहचान दिलाई, लेकिन वे असम की जड़ों से जुड़े रहे।
मूल्य
ज़ुबीन अक्सर कहते थे कि उनका कोई धर्म या जाति नहीं है। वे एकता और समाजिक न्याय के पक्षधर थे।
दुर्घटना
19 सितंबर 2025 को सिंगापुर में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए गए थे, और तैरते हुए अचानक उनका निधन हो गया।
संशय
मृत्यु को डूबना बताया गया, पर संदिग्धता बनी रही। दूसरी मोतियानालिसिस की गई और आयोजक व मैनेजर गिरफ्तार।
आरोप
एक बैंड सदस्य ने जहर देने का दावा किया। जांच में साजिश के आरोप, स्थानों पर छापे और साक्ष्य जुटाए गए।
अलविदा
उनका शरीर भारत लाया गया और असम में राज्य सम्मान से दाह संस्कार हुआ। हजारों ने अंतिम यात्रा में भाग लिया।
विरासत
मृत्यु के बाद भी, ज़ुबीन की संगीत, सिद्धांत और आवाज़ आज भी लोगों को जोड़ती है। न्याय की मांग जारी।
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